मुंबई। रुपए की विनिमय दर घटकर ऐतिहासिक निचले स्तर पर आने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। आज रुपया, डॉलर के मुकाबले 22 पैसे फिसलकर 71 के स्तर पर चला गया है जो डॉलर के मुकाबले रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर है। बता दें कि पिछले तीन दिनों में रुपया 85 पैसे कमजोर हुआ। इससे पहले गुरुवार को ट्रेडिंग के दौरान रुपया 70.82 तक गया, लेकिन बाद में थोड़ी रिकवरी हो गई। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मांग बढ़ने और अमेरिका, चीन व यूरोप के बीच ट्रेड वॉर की चिंता के कारण रुपए पर दबाव बना हुआ है। इससे पहले बुधवार को रुपया 49 पैसे कमजोर होकर 70.59 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ था। लेकिन, मंगलवार को रुपया 6 पैसे मजबूत होकर 70.10 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस साल 9.5 फीसदी कमजोरी 2018 में अब तक रुपया 9.5 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो गया है। इसके उलट 2017 के दौरान रुपए में करीब 6 फीसदी की तेजी आई थी। दिक्कत यह है कि रुपए के मौजूदा स्तर पर भी स्थिर होने के आसार नहीं हैं। केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें ऊंची रहने के कारण इसे खरीदने के लिए डॉलर की मांग तेज है। इसके अलावा घरेलू अर्थव्यवस्था में चालू खाते का घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में रुपए को सपोर्ट मिलता नहीं दिख रहा है। आगामी कुछ हफ्तों में रुपया 72 प्रति डॉलर का स्तर छू सकता है। रुपए में कमजोरी के कारण – कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना – डॉलर की मांग तेजी से बढ़ना – बड़े देशों के बीच ट्रेड वॉर -तुर्की में आर्थिक संकट गहराना – कई प्रमुख करेंसी में कमजोरीतीन बड़े नुकसान – पेट्रोल-डीजल, सोना और तमाम आयातित चीजें महंगी होंगी – उत्पादन लागत बढ़ने से साबुन, शैंपू, पेंट्स जैसे सामान महंगे होंगे – घरेलू शेयर बाजार में जोरदार तेजी पर लगाम लग सकती है कुछ फायदे भी – आईटी और फार्मा जैसे निर्यात करने वाले उद्योग फायदे में रहेंगे – टीसीएस, इंफोसिस, अरबिंदो फार्मा, कैडिला जैसी कंपनियों को लाभ – ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और ऑयल इंडिया को भी फायदा रिजर्व बैंक ने किया हस्तक्षेप! बाजार में अटकलें हैं कि रुपए में गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया है। ट्रेडिंग के आखिरी दौर में कुछ सरकारी बैंकों ने डॉलर की बिकवाली की। डीलरों का कहना है कि आरबीआई ने वायदा बाजार में तकरीबन 30 करोड़ डॉलर बेचे हैं। कोकट सिक्योरिटीज के करेंसी एनालिस्ट अनिंद्य बनर्जी ने कहा, “रुपया जब प्रतिस्पर्धी करेंसीज के मुकाबले बहुत ज्यादा गिर गया, तो ऐसा लगा जैसे केंद्रीय बैंक ने बाजार को नियंत्रित करने की कोशिश की।”
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